Saturday, March 14, 2009

एक स्वप्न सहेजे मन में हूं


एक स्वप्न सहेजे मन में हूं

कुछ कर दिखाने को

दुनिया पर छा जाने को

जज्बात हिलोरे मार रहा

बढ़ने को, कुछ पाने को

अमिट छाप छोड़ जाने को

विश्वास है और दम भी

न समझा खुद को कम भी

आए-गए कितने गम भी

न थका, न रुका बस चलता रहा

एक-एक पायदान बढ़ता रहा

खुशियां मिली और गम भी

कई बार हुई आंखें नम भी

पर कभी नहीं रुके कदम

अब वहीं पहुंच कर लूंगा दम

भले ही मंजिल अभी दूर है

पर तय है, जाना जरूर है

एक स्वप्न सहेजे मन में हूं

कुछ कर दिखाने को


दुनिया पर छा जाने को

जज्बात हिलोरे मार रहा

बढ़ने को, कुछ पाने को

अमिट छाप छोड़ जाने को


No comments: