एक स्वप्न सहेजे मन में हूं
कुछ कर दिखाने को
दुनिया पर छा जाने को
जज्बात हिलोरे मार रहा
बढ़ने को, कुछ पाने को
अमिट छाप छोड़ जाने को
विश्वास है और दम भी
न समझा खुद को कम भी
आए-गए कितने गम भी
न थका, न रुका बस चलता रहा
एक-एक पायदान बढ़ता रहा
खुशियां मिली और गम भी
कई बार हुई आंखें नम भी
पर कभी नहीं रुके कदम
अब वहीं पहुंच कर लूंगा दम
भले ही मंजिल अभी दूर है
पर तय है, जाना जरूर है
एक स्वप्न सहेजे मन में हूं
कुछ कर दिखाने को
दुनिया पर छा जाने को
जज्बात हिलोरे मार रहा
बढ़ने को, कुछ पाने को
अमिट छाप छोड़ जाने को
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