Thursday, March 19, 2009

जीवन चलने का नाम है


अगर जीवन चलने का नाम है

तो चल रहा हूं

कुछ करते रहना ही जीवन है

तो कर रहा हूं

रोता हूं, हंसता हूं

खोता हूं, पाता हूं

कभी इधर, कभी उधर

भटक भी जाता हूं

अगर इसी का नाम जीवन है

तो जी रहा हूं

नित नई चीजों से सामना

बोझ को पड़ता है थामना

रुकने का तो नाम ही नहीं

चाहे ठेस लग जाए सही

कुछ करने की चाह लिए

बिना किसी को कष्ट दिए

दर्द हो तो मुंह को सिए

बढ़ रहे मंजिल को कदम

रफ्तार धीमी ही सही

साथ में कोई माही भी नहीं

पर मन में एक विश्वास है

आज नहीं तो कल कोई खास है

इसलिए बढ़ा जा रहा हूं लगातार

क्योंकि जीवन तो चलने का नाम है

और यही मेरा काम है

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